प्रेम करो तो प्रीति मिलेगी
शरदोत्सव की रीति दिखेगी।
प्रेम करो तो प्रीति मिलेगी।।
सदा प्रीति में अमी -रसायन।
होता सदा प्रेम का गायन।।
प्रेम-प्रिति का सहज मिलन है।
शीतल चंदन तरु-उपवन है।।
अतिशय शांत पंथ यह भावन।
परम पुनीत भाव प्रिय पावन।।
सुघर सुशील सहज शिव सागर।
नेति नेति नित्य नव नागर।।
सजल ग़ज़ल अमृत का गागर।
सभ्य सत्य साध्य शिव सागर।।
विश्वविजयिनी प्रेम-प्रीति है।
सोहर कजली चैत गीत है।।
दिव्य दिवाकर दिवस दिनेशा।
मह महनीय ममत्व महेशा।।
प्रेम-प्रीति अति पावन संगम।
पापहरण संकटमोचन सम।।
निर्भय निडर नितांत नयन नम।
करुणाश्रम कृपाल सुंदरतम।।
प्रेम-प्रीति के नयन मिलेंगे।
ज्वाल देह के सहज मिटेंगे।।
स्नेह परस्पर आलय होगा।
प्रीति-प्रेम देवालय होगा।।
मधुर कण्ठ से कलरव होगा।
मानव मोहक अवयव होगा।।
दिव्य भाव का आवन होगा।
शरद काल मधु पावन होगा।।
प्रेम-प्रीति का योग मिलेगा।
सदा महकता पवन चलेगा।।
मानव बना परिंदा घूमे।
प्रेम प्रिति को प्रति पल चूमे।।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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