*मत पूछो तुम हाल...*
मत पूछो जी हाल प्रेम का।
यह जख्मी है।।
बात न करना कभी प्रेम की।
यह जख्मी है।।
रोता रहता सतत अहर्निश।
बहु जख्मी है।।
दर-दर की यह ठोकर खाया।
अति जख्मी है।।
दुत्कारा यह गया बहुत है।
यह जख्मी है।।
किसने इसे नहीं मारा है।
अति जख्मी है।।
ललकारा यह गया बहुत है।
नित जख्मी है।।
दुनिया के लोगों ने मारा।
बहु जख्मी है।।
काम न करती मरहम-पट्टी।
अति जख्मी है।।
इसको अब मत छेड़ कभी भी।
बहु जख्मी है।।
इसे अकेला छोड़ चले जा।
अति प्रसन्न भोला जख्मी है।।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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