*आओ प्रियवर*
*(चौपई ग़ज़ल)*
आओ प्रिय विचार अब बनकर।
इस विचार में मिल जा प्रियवर।।
दिव्य मनेगी प्रेम दीवाली।
दोनों के विचार संगम पर।।
दोनों मिलकर एक बनेंगे।
एकीकृत होंगे अंगम पर।।
मौसम होगा बहुत सुहाना।
गर्मजोश होगा मन तन पर।।
दर्शन होगा प्रिय प्रतिमा का।
प्रतिमा नाचे आकर्षण पर।।
मिलन विचारों की मैत्री है।
मीत रहेंगे कदम-कदम पर।।
यह संबन्ध बनाया प्रभु ने।
अति सुखदायी अति प्रिय यह वर।।
मैत्री मेल नहीं टूटेगा।
बना रहेगा यह जीवन भर।।
प्रेम योग यह दिव्य दिवाली।
प्रीति रहेगी बनी अधर पर।।
होठों पर मुस्कान रहेगा।
अति परिशुद्ध विचार अमर घर।।
लिपट-लिपट कर चूम-चूम कर।
है विचार सर्वोच्च शिखर पर।।
प्रीति सहज मदहोश विजयिनी ।
प्रेमविचारसिंधु अमृतसर।।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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