*चतुष्पदियाँ*
करो मदद जितना हो संभव,
मत समझो कुछ यहाँ असंभव;
खोजो सत्कर्मों का उद्भव।
बन जाये अति सुंदर यह भव।।
अति मोहक प्रतिमा बन चलना,
मधु भावों से सबसे मिलना;
मीठी-मीठी बातें करना।
प्रीति परस्पर करते रहना।।
सहज हृदय से चलना-फिरना।
सबका नियमित आदर करना;
दीन-हीन का रक्षक बनना।
मानवता का चिंतन करना।।
रचनाकार: डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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