*दिल में...*
दिल में आ कर लौट न जाना।
करना मत तुम कभी बहाना।।
मृतक बनाकर कभी न जाना।
जहर पिलाकर भाग न जाना।।
तन-मन-उर खेलवाड़ नहीं हैं।
किन्तु बिना तुम प्राण नहीं है।।
कोमल दिल भावुक अति मधुमय।
इसका नर्म भाव प्रिय शिवमय।।
जगत हितैषी शुभवादी है ।
मधुर वचन अमृतवादी है।।
जख्मी इसे कभी मत करना।
क्रूर वचन इसको मत कहना।।
कटु वाणी सुन मर जायेगा।
नक्कारों से डर जायेगा।।
नहीं भूलकर इसे सताना।
अपना मधुकर मीत बनाना।।
कर सकते हो तो है अच्छा।
लेना मत तुम कभी परीक्षा।।
प्रियवर हो तो साथ निभाओ।
दिलवर बनकर दिल में आओ।।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें