*सुंदर सा घर*
बनाना हमें एक सुंदर सा घर है।
बसाना हमें एक सुंदर शहर है।
नफरत की दुनुया नहीं है सुहाती।
ईर्ष्या की ज्वाला निरन्तर जलाती।
न भावों की खुशबू का कोई सफर है।
बनाना हमें एक सुंदर सा घर है।
झूठी इबादत यहाँ चल रही है।
मिथ्या शरारत यहाँ पल रही है।
सभी में बनावट प्रदर्शन जहर है।
बनाना हमें एक सुंदर नगर है।
सात्विक विचारों का संकट खड़ा है।
नायक सितारों का मुर्दा पड़ा है।
दिखती यहाँ पर भयंकर डगर है।
बनाना हमें एक सुंदर सा घर है।
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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