डॉ०रामबली मिश्र

*धर्म*


           *(चौपाई)*


लो संकल्प मनुज बनने का।


दीनों की सेवा करने का।।


 


अंतस में करुणा रस भर लो।


दुःखियों का मन शीतल कर दो।।


 


सहानुभूति का बिगुल बजाओ।


संवेदना हृदयमें लाओ।।


 


जीना सीखो सबके हित में।


सारे कर्म करो परहित में।।


 


सद्विवेक का परिचय देना।


न्यायी बनकर दुःख हर लेना।।


 


ईश्वर को देखो कण-कण में।


सुदृढ़ बने रहो हर प्रण में।।


 


सबको अपना मीत बनाओ।


ममतावादी नीति सिखाओ।।


 


कर विश्वास सदा समता में।


रखो हृदय में मनुष्यता को।।


 


स्वार्थ छोड़कर बन परमार्थी।


धर्म सीख बनकर विद्यार्थी।।


 


लो गुरु मंत्र सहज बनने का।


भीतर से सज-धज रहने का।।


 


सीखो सतत मनुज बनने का।


सुंदर काम सदा करने का।।


 


कभी बनावट मत पसंद कर।


छोड़ मिलावट चल सुपंथ पर। 


 


प्रेमसिंधु उर में धारण कर।


वृंदावन में बन वंशीधर।।


 


चक्रसुदर्शन लेकर चलना।


क्रूर भाव को सदा कुचलना।।


 


बनकर राम चलो जंगल में।


सारा जीवन हो मंगल में।।


 


सेवादानी बनकर चलना।


रक्षक बनकर सतत विचरना।।


 


मन में धारण कर सात्विकता।


जागे पृथ्वी पर मधुमयता।।


 


सुंदर हरा-भरा जनमानस।


मने कर्मणा भाव अमावस।।


 


करना क्रमिक विकास निरंतर।


दिखें चतुर्दिक धर्मधुरंधर।।


 


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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