डॉ०रामबली मिश्र

*साथ चलते रहो*


 


साथ चलते रहो बात करते रहो।


गुनगुनाते रहो गीत गाते रहो।।


 


हम चलें इस कदर सारी दुनिया लखे।


हाथ में हाथ डाले मचलते रहो।।


 


है पुरानी ये दोस्ती इसी चाल में।


हाथ में कटि लिये प्रिय फिसलते रहो।।


 


चूमकर बाजुओं को नमन हो सदा।


हार बनकर गले का चमकते रहो।।


 


चुंबनों से सकल देह का स्नान हो।


देह मर्दन सहज नित्य करते रहो।।


 


पूर्ण सेवा का व्रत ले चलो रात--दिन।


पूर्णकालिक मिलन नित्य करते रहो।


 


आदि से अंत तक देह से आत्म तक।


राह चलते रहो प्रेम करते रहो।।


 


प्रेम का साथ छोड़ो कभी भी नहीं।


मुँह में मुँह डाल दिलवर से मिलते रहो।।


 


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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