एस के कपूर श्री हंस

*रचना शीर्षक।।*


*तब जाकर एक आदमी अच्छा*


*इंसान बनता है।।*


 


दिल में अरमान और मन में 


जो भावनायें जनता है।


पराये दर्द से भी मन उसका


उतना ही खनकता है।।


जब परस्पर सहयोग की 


ही नियत होती है दिल से।


तब जाकर कोई एक आदमी


 अच्छा इन्सान बनता है।।


 


जब वह सृष्टि का आदि और


अंत समझ जान लेता है।


जब अनंत प्रेम की परिभाषा


को भी पहचान लेता है।।


जब परम पुनीत प्रीत अथाह       


सागर में जाता है वो खो।


तब ही प्रभु उसको अपना


भक्त इंसान मान लेता है।।


 


जब किसी के हाथ से किसी 


का कायाकल्प कमाल होता है।


जब किसी की परेशानी में भी


खुद को दुःख मलाल होता है।।


जब आदमी की आँखें किसी


और के दर्द में होती हैं नम।


वही बनता इंसान मन में जिसके


ऐसा प्रेम और दुलार होता है।।


 


*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"


*बरेली।।*


मोब।।। 9897071046


                      8218685464


 


*रचना शीर्षक।।*


*तेरी सोच ही तेरी जीत का*


*औजार है।।*


 


कामयाबी का जनून तो फिर


मुश्किलों की क्या औकात है।


मंजिल होती दूर नहीं बस


हौंसलों की ही बात है।।


"काफी अकेला" नहीं सोच


हो "अकेला ही काफी" हूँ।


सकारात्मक दृष्टिकोण ही


एक अनमोल सौगात है।।


 


जमीं से आसमां तक तुम्हारा


चमकता नाम हो।


कुछ इस तरह से तुम्हारा


नायाब काम हो।।


समाज देश राष्ट्र के नाम


में लगाओ चार चांद।


तुमसे रोशन अपने शहर


की इक पहचान हो।।


 


बस कभी हार मत मानना


सामने हार भी जान कर।


जीत भी चल कर आयेगी


तुम्हें विजेता मान कर।।


मन के हारे हार और मन


के जीते होती जीत है।


बस मत खोना उम्मीद को


विश्वास को प्रणाम कर।।


 


*रचयिता।।एस के कपूर " श्री हंस*"


*बरेली।।*


मोब।। 9897071046


                      8218685464


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