एस के कपूर श्री हंस

*रचना शीर्षक।।*


*वरिष्ठ नागरिक समाज को*


*मिली अनमोल सौगात है।।*


 


वरिष्ठ नागरिक होने का 


एक अलग आनन्द है।


नहीं कोई भी लगता अब


समय का पाबन्द है।।


खुद की मर्जी और खुद


का आदेश अब है चलता।


दफ्तर और ट्रैफिक की


किट किट भी अब बन्द है।।


 


दुआयें और आशीर्वाद देना


अब तो रोज़ का काम है।


सबसेआदर सम्मान इसलंबे


अनुभव का ईनाम है।।


नाती पोतों का भरपूर प्यार


पाने का यही है सही वक्त।


बच्चों को सिखाने को भी


मिला दादा दादी नाम है।।


 


जल्दी उठने और काम में 


जुटने कीआपाधापी नहीं है।


समाज सेवा को भी कम


समय की जवाबी नहीं है।।


रूठे टूटे रिश्तों को जोड़ने


के लिए हैअब वक्त ही वक्त।


दुनियाभर में वरिष्ठ नागरिक


जैसी कोई भी नवाबी नहीं है।।


 


कुल मिलाकर साठ साल के


बाद इक नई शुरुआत है।


पूरी उम्र गुजारने बाद मिली


ये एक अनमोल सौगात है।।


जिम्मेदारी निभाने के बाद जा


कर मिला यहआराम का वक्त।


वृद्धावस्था बुढ़ापा नहीं छूटी


रुचियाँ पूरी करने की बात है।।


 


साठ पर नहीं सत्तरअस्सी नब्बे


तक हमको जाना है।


सीखना भी बहुत कुछ जो


अभी तक हमें अनजाना है।।


जान लो वृद्धावस्था है जीवन


का सबसे स्वर्णिम काल।


जीता है वह शान से जिसने भी


उत्तम स्वास्थ्य मंत्र को माना है।।


*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*


*बरेली।।*


मोब।।।। 9897071046


                     8218685464


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