*रचना शीर्षक।।*
*हमारे दृषिकोण में ही छिपा हमारी*
*सफलता का रहस्य है।।*
गुलाब में काँटे नहीं सोचो
कि काँटों में गुलाब है।
यह एक ही मिला जीवन
तो बहुत ही नायाब है।।
उजाले बाँटने से उजाले
कभी कम नहीं होते।
हमारा जीवन ही संघर्ष
लगन जोश और ख्वाब है।।
आपका धैर्य और व्यवहार
आपकी पूंजी सब से बड़ी।
आशा और विश्वास काम
आते मुसीबत जब हो खड़ी।।
हर सुबह लेकर आती है
उम्मीद की नई किरण।
आप जीतते हैं तभी कि
आंतरिकशक्ति जब हो लड़ी।।
अहसासों के पाँव नहीं होते
पर दिल तक पहुंच जाते हैं।
दुयाओं के असर दरवाजे
नहीं खटखटाते हैं।।
सच्चा प्रेम होता जैसे एक
अदृश्य डोरी के समान।
हमारे कर्म ही तो भाग्य बन
कर वापिस आते हैं।।
*रचयिता।।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली।।*
मोब।।। 9897071046
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