एस के कपूर श्री हंस

*रचना शीर्षक।।*


*अच्छे के साथ अच्छा और बुरे*


*के साथ बुरा होता है।।*


 


प्रभु के पास रहती न कोई 


कागज़ किताब है।


फिर भी रहता तेरे सब कर्मों


का पूरा हिसाब है।।


देर सबेरअच्छे कामों का फल


मिलता है अवश्य।


पर पाता वो कुफल जो भलाई


के रहता खिलाफ है।।


 


कमियां ढूंढने की शुरुआत जरा


खुद से आरंभ करें।


मत गलत वहम पालें न ही यूँ


कोई दंभ भरें।।


न होअभिमान कि मुझे तो कोई


जरूरत नहीं किसी की।


हर बुराई का सबसे पहले खुद 


में ही अंत धरें।।


 


जीवन को चाहो और जीवन से


तुम प्यार करो।


मत घृणा में पलकर जीवनअपना


दुश्वार करो।।


सोचअगर तंग हो तो जिंदगी एक


जंग सी हो जाती है।


बस एक ही सफलता मंत्र कि हर


काम नियमानुसार करो।


 


पछतावे से नहीं भक्ति शक्ति से


दिन की शुरुआत करें।


कभी नहीं विश्वास को तोड़ें न ही


भीतर घात करें।।


जीने की चाहत जोश उमंग कभी


कम नहीं होने पाये।


हरदिन इक नये संकल्प से जीवन


को आबाद करें।।


 


एस के कपूर श्री हंस


*बरेली।।


मो।। 9897071046


                      8218685464


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