*रचना शीर्षक।।*
*जीवन में जो देते हैं वह ही लौट*
*कर वापिस आता है।।*
जान लो कि यह जिन्दगी एक
दिन छूट जायेगी।
देखते देखते श्वास भी यूँ ही
इक दिन टूट जायेगी।।
कर लो कुछ अच्छा अपने इसी
एक जीवन में।
ना जाने कब यह जिंदगानी
तुझसे रूठ जायेगी।।
मझधार में घिर कर भी किसी
के साहिल बन कर देखो।
अपनी ही मेहनत से ही जरा
तुम माहिर बन कर देखो।।
जो संघर्ष स्वीकार करता वही
ही आगे बढ़ता है।
किसी की तकलीफों में भी तुम
जरा जाहिर बन कर देखो।।
जीवन एक प्रतिध्वनि सब कुछ
लौट कर आ जाता है।
हर मनुष्य अपनी करनी का
फल जरूर पाता है।।
आपका कहा आपके आचरण
में जरूरआना ही चाहिये।
आपका ही अच्छा बुरा वापिस
लौट कर लाता है।।
सूरज धीरे धीरे निकलता और
ऊपर चढ़ता जाता है।
जो जैसा विचार सोचता वैसा
ही वो बनता जाता है।।
हमेशा स्व आकलन अपना आप
जरूर ही करते रहे।
जो हार से सीखता रास्ता जीत
का वो पकड़ता जाता है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।*
मोब।। 9897071046
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