*नन्ही चिड़िया*
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घास- फूस का नीड़ बनाकर,
मेरे घर में रहती चिड़िया,
दिन में दाना चुगती चिड़िया,
रात में घर आ जाती चिड़िया।
घर में रौनक़ लायी चिड़िया,
बहुत प्यारी लगती चिड़िया,
बहुत सबेरे चीं चीं करती,
हम सब को जगाती चिड़िया।
चिड़िया जब खुश हो जाती है,
उसी नीड़ पर अण्डे देती ,
अण्डे से जब बच्चे बनते ,
पालन पोषण करती चिड़िया।
दिन में दाना लाती है चिड़िया,
बच्चों को खिलाती चिड़िया,
जब वह उडने वाले होते,
अपने साथ उड़ाती चिड़िया।
चीं चीं करके जब उड़ते है,
खुशी के गीत गाती है चिड़िया,
दूर गगन में उड़ जाती चिड़िया,
रात को नीड़ पर आ जाती चिड़िया।।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
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