*जय जय जय श्री हनुमान जी*
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जय जय जय श्री हनुमान जी
संकट मोचन कृपा निधान,
बल -बुद्धि विद्या के धाम
आपको मेरा शत् -शत् प्रणाम।
मारुत नंदन असुर निकन्दन,
जन मन रंजन भव भय भंजन,
सन्त जनों के सुखनंदन
अंजना नंदन शत्-शत् वंदन।
भक्तजनों के प्रति पालक
दीनों के आनन्द प्रदायक,
अनवरत रामगुण गायक,
बाधा विध्न विदारक।
हे राम दूत पवन पूत
शांति धर्म के अग्रदूत ,
सतमार्ग के तुम प्रदर्शक
सत्य धर्म के हो तुम रक्षक।
मानवता के महाप्राण हो
मृतकों में भी भरते प्राण हो
हृदय में बसते सीताराम
प्रभु श्री हनुमान को प्रणाम।
अनाचारी आज प्रचण्ड है
रक्षक भी हो गये उदण्ड है
करो अनाचार का दमन
जग का भय ताप शमन।
दुख दरिद्रता का नाश करो
अनाचारियों का विनाश करो
दीन दुखियों के कष्ट हरो तुम
जय जय जय श्री हनुमान जी।
भक्तो के तुम रक्षक हो
करो अनाचारियों का दमन ,
हे राम भक्त पवन पुत्र
तुमको कोटि कोटि प्रणाम।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
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