*धरती माँ बचानी होगी*
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धरती माँ बचानी होगी,
सोच नई अपनानी होगी,
धरती पर जो प्रदूषण बढ़ा,
उससे मुक्ति दिलानी होगी।
यहां सभी जीते है जीवन,
यहां है सारे बाग और उपवन,
यदि करते हो धरा से प्यार,
करो न धरा पर अत्याचार।
हमीं राष्ट्र के शुभ चिंतक है,
आओ बढ़कर आगे आयें,
दूषित सारी दुनिया हो गई,
धरा को प्रदूषण से मुक्ति दिलाये।
जल , ध्वनि, वायु प्रदूषण,
नदियांभी ही गई कसैली,
प्लास्टिक की हो गई भरमार,
संकट है धरा पर चारों ओर।
अत्यधिक दोहन हमने किया,
धरती माँ से प्यार न किया,
धरती माँ ने सब कुछ दिया,
बदले में हमने धरा को क्या दिया।
जब -जब हमने लालच किया,
आपदा को न्यौता दिया,
धरा ने अमूल्य संसाधन दिये,
बृक्षारोपण से धरा सजाये।
सब मिलकर पौध लगायें,
बृक्षारोपण सफल बनायें,
धरती पर जो बढ़ा प्रदूषण,
उससे सबको मुक्ति दिलाये।
राह नई दिखानी होगी,
युक्ति नई अपनानी होगी,
कैसे पर्यावरण स्वच्छ बने,
सब मिलकर एक सलाह बनायें।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
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