निशा अतुल्य

भैया दूज 


 


चाँद से मेरे भाई प्यारे


तन मन उन पर करूँ बलिहारे  


भले दूर रहते वो मुझसे 


एक पुकार पर जान वो भी वारे ।


 


रहे शतायु मेरे भाई दुलारे


मात पिता के आंखों के तारे


भाभियाँ चाँदनी सम है दमके


भतीजी भतीजे चमके ज्यों तारे ।


 


आज यम द्वितीया महापर्व पर 


सज गए हर आँगन और द्वारे


सभी बहने कर रही इंतजार 


आएंगें कब भाई हमारे प्यारे ।


 


साल का ये दिन है सुहाना


पंच दिवस महापर्व मनाना


यम दीप जला शुरू किया जो


पांचवा दीप भैया दूज का जलाना।


 


ईश्वर से मैं करूँ प्रार्थना


स्वास्थ्य,सुख,शांति रहे खजाना


चाहे जैसा सुख दुख आए


मेरे भाइयों पर प्रभुकृपा रखना ।


 


स्वरचित


निशा अतुल्य


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...