निशा अतुल्य

अन्नदाता की सुनो पुकार ।


मन में कर लो सुनो सुधार ।।


दिखे है कृशकाय आधार ।


भूख गरीब बना शृंगार ।।


 


खेत खलियान उसकी जान ।


पैदावार बनी पहचान ।।


हरे भरे खेतों की जान ।


अन्नदाता देता अन्न दान।।


 


स्वरचित


निशा अतुल्य


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