दीप जलाएं
चलो चलें एक दीप जलाएं
प्रेम की बाती उसमें लगाएं
अँधियारा दूर तब होगा
स्नेह संचित संसार हो जाएं ।
एक दीपावली ऐसी मनाएं
शिक्षा का एक दीप जलाएं
है अशक्त जो समाज में
चल कर उनको सशक्त बनाएं।
साथ सभी मिलकर जब चल पाएं
उत्थान समाज का कुछ कर पाएं ।
देता है जो हमें,देश जीवन भर
उऋण होने का कर्म निभाएं।
स्वच्छ निर्मल भाव रहें जब
तन मन जन के खिल जाएं ।
सुदृढ सक्षम देश हमारा
आगे आगे बढ़ता जाएं ।
स्वरचित
निशा अतुल्य
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