निशा अतुल्य

सपने 


6.11.2020


 


नैनो ने सपने सजाए हैं


प्रियतम मेरे घर आए हैं


ऐ चाँद तुझे क्या मैं देखूं 


मेरा चाँद मेरे सँग मुस्काए हैं ।


 


जब सँग चले मेरे साजन 


बिच्छीये पायल झंकाएँ हैं ।


 


माथे की बिंदिया डोल रही


बेला खिल गजरा महकाए है ।


 


पलकें मेरी झुक जाती है 


जब रात-रानी खिल जाए हैं ।


 


साजन क्या कहूँ दिल की 


लब मेरे खुल थरथराएँ हैं ।


 


तू साँस साँस में बसता है 


अब धड़कन ये बताए है ।


 


स्वरचित


निशा"अतुल्य"


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