जो करना है आज कर
जीवन जो शेष है
बस वही विशेष है
जिसने सब को बदलने की कोशिश की
वो हार गया
जिसने खुद को बदल लिया
वो जीत गया
हिल उठे जिससे समुन्दर
उस बवंडर के झकोरे को
किस तरह इंसान रोके
अच्छा होगा गुनगुना लेे, दो पंक्तियां
वह करेगा धैर्य संचित
जीवन जो शेष है
बस वही विशेष है
विश्वास ही मनुष्य को
खींचता जाता हैं निरंतर
पंथ कटीला है,थकान भी है
मृत्यु प्रतीक्षा में खड़ा है
उत्साह वर्धक,मंगल और शकुन पथ
तुझे ही संवारना है
लक्ष्य पर अपने कर्म के सहारे
निरंतर आगे कदम बढ़ाना है
जीवन जो शेष है
बस वही विशेष है
इस कलियुग में उत्साह वर्धक शब्द
सत्संग में ही सुनेगा
पंथ जीवन का चुनौती
दे रहा है हर कदम पर
जो खूब भूला, जो खूब भटका
विश्व तो उस पर हंसेगा
जीवन जो शेष है
बस वही विशेष है
जिसने सबको बदलने की कोशिश की
वो हार गया
जिसने खुद को बदल लिया
वो जीत गया
नूतन लाल साहू
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