मेहनत
मेहनत अगर आदत बन जाए
तो कामयाबी मुकद्दर बन जाती हैं
दिन कितने रात भी कितनी
तेरी बीती होगी चिंतन में
तय करना होगा जिससे कि
होगी सम्मुख सुख सुविधा तेरी
कठिन मेहनत करके तूने
क्षीण किया होगा अपने तन को
लिया प्रलोभन भांति भांति के
सांसारिक माया ने भी भरमाया होगा
बिना किसी संकोच लक्ष्य बना ले
जो कुछ तुझको पाना हैं
तेरी आंखो के आगे
गीता का ज्ञान,मार्गदर्शन करेगी
मेहनत अगर आदत बन जाए
तो कामयाबी मुकद्दर बन जाती हैं
उस निश्चय से निकली होगी
चिंता तेरे अंतश से
असहाय मानव का भी सहारा है मेहनत
एक आशा की किरण शेष होती हैं
खोजती फिरती किसे है तू
इस तरह पागल विकल होकर
बीच भंवर में तू फंस जायेगा
विश्व से आशा लगाते लगाते
कहीं खो न जाये तेरा विश्वास
विश्व की संवेदना में
वह घड़ी भी निश्चित आयेगी
चिंता नहीं होगी तेरे पास में
मेहनत अगर आदत बन जाए
तो कामयाबी मुकद्दर बन जाती हैं
नूतन लाल साहू
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