नूतन लाल साहू

एक सुझाव


 


जिंदगी में सारा झगड़ा


ख्वाहिशों का है


ना तो किसी को गम चाहिए


और ना ही किसी को कम चाहिए


सच कहता हूं तू थक जायेगा


विश्व को विनती सुनाते सुनाते


चाह किसका है तुझे जो


तड़पता रहता हैं निरंतर


सुख संपत्ति की ख्वाहिश तुझे


सब ओर से घेरे हुए हैं


सब कुछ प्रभु पर छोड़ दें


चिंता तेरे पास नहीं आयेगा


जिंदगी में सारा झगड़ा


ख्वाहिशों का है


ना तो किसी को गम चाहिए


और ना ही किसी को कम चाहिए


विश्व तो उस पर जरूर हंसेगा


जो सत्कर्म भूला,खूब भटका


पंथ जीवन का चुनौती


दे रहा है हर कदम पर


आखिरी मंजिल तो भवसागर पार जाना है


जो दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है कहीं भी


आत्मविश्वास बढ़ा,ख्वाहिशें घटा


वह करेगा धैर्य संचित


प्रकृति का मंगल शकुन पथ


तेरा इंतज़ार कर रहा है


शक्तियां अपनी न जांची तूने


तू तो ईश्वर का अंश है


जिंदगी में सारा झगड़ा


ख्वाहिशों का है


ना तो किसी को गम चाहिए


और ना ही किसी को कम चाहिए


नूतन लाल साहू


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