आत्मविश्वास
मुश्किलों से कह दो
उलझा न करें हमसे
हमे भी हर हाल में
जीने का हुनर आता है
तू गढ्ढा है सड़क का
काहे को इतराता है
पर्वत तक तो यहां पर
राहें रोक नहीं पाता है
मुश्किलों से कह दो
उलझा न करें हमसे
हिम्मत को मत हारना
करता रह तदबीर
आखिर बदल ही जायेगी
इक दिन ये तक़दीर
आज,अभी और इसी क्षण
जीते हैं जो लोग
उसको भूत भविष्य का
नहीं लगेगा रोग
मुश्किलों से कह दो
उलझा न करें हमसे
मन का सोचा न हुआ
तो काहे को रोय
तेरे हाथ में कुछ नहीं
प्रभु जी चाहे सो होय
सब्र बिना ये जिंदगी
जैसे तन हो बिन प्राण
जो ज्यादा जल्दी करें
होता है बहुत नुकसान
मुश्किलों से कह दो
उलझा न करें हमसे
हमे भी हर हाल में
जीने का हुनर आता है
नूतन लाल साहू
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