इच्छाये
ज्यादा कुछ नहीं जिंदगी में
बस खुशनुमा शाम चाहिए
जब मैं सोकर उठू तो मुझे
अपनों का मंगल प्रभात चाहिए
हे प्रभु चिंतन हो सदा,इस मन में तेरा
चरणों में तेरे निरंतर ध्यान चाहिए
चाहे दुःख में रंहू,चाहे सुख में रंहु
होठों पर सदा तेरा ही नाम चाहिए
इस कलियुग ने,सांसारिक वासनाओं में
व्यर्थ की कल्पनाओं में
जग की सब तृष्णाओ में
संतुष्टि का स्वप्न दिखा रहा है
मुझे तो सत्संग का,सुबह शाम चाहिए
ज्यादा कुछ नहीं जिंदगी में
बस खुशनुमा शाम चाहिए
जब मैं सोकर उठू तो मुझे
अपनों का मंगल प्रभात चाहिए
मानव देह धारण किया हूं
कष्ट भी कितने उठा रहा हूं
हंस के प्रेम की बोली से
दुःख सबके मिटा संकू
ऐसा ही तेरा आशीर्वाद चाहिए
हो जाऊ मैं तुझमें ऐसी मगन
ना डोला सके तेरी माया,करू ऐसा यतन
ध्यान तेरा प्रभु मै धरता रहूं
मन सदा ही तेरा अनुरागी रहे
जगत दूषण नहीं,भूषण हो मेरा
न कोई बैरी दिखे,सब अपना हो मेरा
ऐसा ही तेरा आशीर्वाद चाहिए
ज्यादा कुछ नहीं जिंदगी में
बस खुशनुमा शाम चाहिए
जब मैं सोकर उठू तो मुझे
अपनों का मंगल प्रभात चाहिए
नूतन लाल साहू
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