प्रभु भक्ति में मन लगा लेे
जिस तरह थोड़ी सी औषधि
भयंकर रोगों को शांत कर देती हैं
उसी तरह ईश्वर की थोड़ी सी स्तुति
बहुत से कष्ट और दुखो का नाश कर देती हैं
आत्म ज्ञान बिना नर भटक रहा है
क्या मथुरा क्या काशी
जैसे मृग नाभि में रहता है कस्तूरी
फिर भी बन बन फिरत उदासी
प्रभु जी का भजन न कर तूने
हीरा जैसा जन्म गंवा रहा है
पानी में मीन प्यासी
मोहे सुन सुन आवे हांसी
जिस तरह थोड़ी सी औषधि
भयंकर रोगों को शांत कर देती हैं
उसी तरह ईश्वर की थोड़ी सी स्तुति
बहुत से कष्ट और दुखो का नाश कर देती हैं
बाहर ढूंढत फिरा मै जिसको
वो वस्तु घट भीतर हैं
बिन प्रभु कृपा शांति नहीं पावे
लाख उपाय करें नर कोई
कहे सतगुरु सुनो भाई साधो
बिन प्रभु कृपा मुक्ति न होई
अरे मन किस पै तू भूला है
बता दें जग में कौन तेरा है
तेरे मां बाप और भाई
सभी स्वार्थ के हैं साथी
तेरे संग क्या जायेगा
जिसे कहता तू मेरा हैं
जिस तरह थोड़ी सी औषधि
भयंकर रोगों को शांत कर देती हैं
उसी तरह ईश्वर की थोड़ी सी स्तुति
बहुत से कष्ट और दुखो को नाश कर देती हैं
नूतन लाल साहू
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