रौशनी का त्यौहार
नव उमंग नव तरंग
जीवन में हुआ नव प्रवाह
उठी खुशियों की लहर
आ गया रौशनी का त्यौहार
मै तो बस इतना कहता हूं
ऐसा दीप जला लेना
जिसकी लघु ज्वाला से ही
घबरा उठता है तम का सागर
मेरे जीवन की मधुबन में
उठी खुशियों की लहर
आ गया रौशनी का त्यौहार
भुल जा तू अब,पुराना रीति रिवाज
दे गया है कौन सा,वह उपहार
अब कर रहे हैं इशारे
उच्चतम नभ के सितारे
अब अपने मन मंदिर में
आशा की नई किरणे जगा ले
आ गया रौशनी का त्यौहार
आती हैं अंधेरी रात, हर पाक्षिक
दीया जलाना भी कब मना है
परम पिता परमेश्वर की कृपा से
जग मिटता बनता रहता है
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जी के स्वागत हेतु
आ गया रौशनी का त्यौहार
अभिनंदन करते हैं हम
अभिवादन करते हैं हम
घनघोर अंधेरी रात में
मिट्टी का दीपक जलाते है लोग
यह सिद्ध करता है मानो
धार्मिक आस्था अभी जीवित है
लगता हैं स्वर्ग का धरती पर हुआ है अवतरण
आ गया रौशनी का त्यौहार
नूतन लाल साहू
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