एक सुझाव
मित्रता और रिश्तेदारी
सम्मान की नहीं,भाव की भूखी होती हैं
लगाव दिमाक से नहीं
दिल से होना चाहिए
प्रभु जी ने झप्पर फाड़ कर दिया है
यश धन तुझे अपार
फिर भी अगर तू रोता है
तो तुझको है धिक्कार
दोष देखना गैर के
बंद कीजिए आप
मित्र और रिश्तेदार होता है
कुछ पल का मेहमान
मित्रता और रिश्तेदारी
सम्मान की नहीं, भाव की भूखी होती है
क्यों आया है इस संसार में
कौन बतायेगा मोय
इस रहस्य को आज तक
समझ सका न कोय
करे क्यों नहीं शुक्रिया
प्रभु जी का हम दिन रात
सब प्राणियों में श्रेष्ठ
बनाया है इंसान
फिर भी मित्रता और रिश्तेदारी
निभाने में क्यों करता है संकोच
बचपन यौवन कट गये
खड़ा बुढ़ापा द्वार
अब तो बाकी रह गये
जीवन के दिन चार
मित्रता और रिश्तेदारी
सम्मान की नहीं, भाव की भूखी होती है
लगाव दिमाक से नहीं
दिल से होना चाहिए
नूतन लाल साहू
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