नूतन लाल साहू

सुख की राह


 


लोगों ने समझाया


वक्त बदलता है


और वक्त ने समझाया


लोग भी बदलते हैं


बीते और भविष्य पर


मत दीजिए ध्यान


वर्तमान में ही लाइये


अपने होठो पर मुस्कान


यही है सुख की राह


कल क्या होगा यह राज


कौन सका है जान


वर्तमान का ही कीजिए


छककर अमृत पान


अंधे तक को ईश्वर


दिखलाता है राह


उसकी कृपा हुई तो


आह भी हो गई वाह


यही है सुख की राह


जिस दिन से आपके व्यवहार में


मिला साथ का ज्ञान


तब तुमको दिख जायेगा


पत्थर में भगवान


झेल लिया जिस शख्स ने


पीड़ा का संघर्ष


एक दिन उसके सामने


नमन करेगा हर्ष


यही है सुख की राह


बिना कर्म के भाग्य की


रेखा बदल न पाय


इसका प्रभु के पास भी


कोई नहीं उपाय


सांसे हमारी सीमित


मृत्यु खड़ी है द्वार


वह पैसा तो व्यर्थ है


जिसे न खर्च किया, न दिया दान


यही है सुख की राह


नूतन लाल साहू


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