जिंदगी का सफर
पा लेने की बेचैनी और
खो देने का डर
बस यही तो है जिंदगी
का सफर
दुःख से जीवन बीता फिर भी
शेष रहता है कुछ आशा
जीवन की अंतिम घड़ियों में भी
प्रभु श्री राम जी का नाम आ जाना
सुंदर और असुंदर जग में
मैंने क्या क्या नहीं किया है
पर इतनी ममता मय दुनिया में
विधि के विधान को समझ न पाया
पा लेने की बेचैनी और
खो देने का डर
बस यही तो है जिंदगी
का सफर
खोज करता रहा अमरत्व पर
आंसूओं की माल,गले पर डाल ली
अंत समय पश्चाताप में डूबा
कैसे लौटेगी,मेरे जीवन की दिवाली
हिल उठे जिससे समुन्दर
हिल उठे दिशि और अंबर
उस बवंडर के झकोरे को
किस तरह इंसान रोके
पा लेने की बेचैनी और
खो देने का डर
बस यही तो है जिंदगी
का सफर
नूतन लाल साहू
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