मणिकर्णिका की महागाथा
लक्ष्मीबाई नाम था जिसका ,
महाकाली का अवतार था जिसका,
शस्त्र विद्या में सरस्वती का वरदान था
मातृ भूमि पर न्योछावर होना, अभिमान था जिसका ।
ढाल ,कटार और तलवार
से जो खेलती आई,
युद्धभूमि जिसका आँगन बतलाई,
बाँध शिशु को पीठ पर ,
स्त्री वीरता अमर दिखलाई ,
थी वह रानी लक्ष्मीबाई।
झाँसी की वो रानी थी,
स्त्री रूप में मर्दानी थी,
क्या लिखूं उस शक्ति पर,
वो अमर ज्वाला अभिमानी थी।
बेचारी स्त्री से बहादुर बनाया,
वीरांगना ने वीरता का पाठ पढ़ाया ।
शक्ति तुम्हारी तुम पहचानो ,
मर्यादा के बाद मर्दानी कहलाओ।
संदेश है ! हर स्त्री को आवाज़ उठाओ
हर स्त्री को रानी लक्ष्मीबाई बनाओ।
प्रिया चारण
उदयपुर राजस्थान
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