राजेंद्र रायपुरी

😊😊 एक गीत 😊😊


 


आओ रे,आओ रे,आओ रे, 


आओ - आओ रे।


आओ रे, आओ रे,आओ रे,


आओ-आओ रे।


 


आओ नाचें गाएं हम।


छेड़ें खुशियों की सरगम।


दूर हो गई विपदा सारी,


अब काहे का ग़म।


आओ-आओ रे।


आओ-आओ रे।


 


आओ रे,आओ रे,आओ रे,


आओ-आओ रे।


 


फसल काट खलिहान में आई।


हो गई भैया आज़ मिजाई।


जितना बोया,लाख गुना कर,


देती हमको धरती माई।


अब काहे का ग़म है भैया,(२)


घर बैठे तुम खाओ रे।


आओ-आओ रे।


आओ-आओ रे।


 


आओ रे,आओ ये,आओ रे।


आओ-आओ रे।


 


हुई नहीं बरबाद फसल ,


ये दुआ प्रभो की भारी।


सबने पाया मन भर-भर के,


खुश सारे नर-नारी।


खाने भर रख बेच-भाॅ॑ज कर,(२)


नगदी घर में लाओ रे।


आओ-आओ रे।


आओ-आओ रे।


 


आओ रे,आओ रे,आओ रे।


आओ-आओ रे।


 


बहा पसीना हमने बोया,


फल उसका है पाया। 


लाख गुना कर दिया प्रभो ने,


देखो उसकी माया।


वो ही सबका है रखवाला,(२)


गुन उसके तुम गाओ रे।


आओ-आओ रे।


आओ-आओ रे।


 


आओ रे,आओ रे,आओ रे,


आओ-आओ रे।


 


नहीं भुलाना तुम धरती को,


वो ही है महतारी।


पेट वही है भरती सबकी,


माता प्यारी-प्यारी।


उस मैया के चरणों में तुम,(२)


निश दिन शीश झुकाओ रे।


आओ-आओ रे।


आओ-आओ रे।


 


आओ रे,आओ रे,आओ रे।


आओ-आओ रे।


आओ-आओ रे।


 


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...