राजेंद्र रायपुरी

🌹🌹 एक चतुष्पदी 🌹🌹


 


ओस की बूॅ॑दे चमकतीं


                 मोतियों सी घास पर।


 


रवि किरण को है कहाॅ॑


           आतीं कभी भी रास पर।


 


सोख लेती है उन्हें वह


                   निर्दयी सा रोज़ ही।


 


बच नहीं सकतीं वो बूॅ॑दे


             रवि किरण ले ख़ोज ही।


 


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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