आग ही समझो जवानी
कौन कहता है ये पानी।
आग ही समझो जवानी।
भस्म कर सकती सभी कुछ,
मन अगर इसने है ठानी।
पत्थरों को तोड़ दे ये।
रुख़ हवा का मोड़ दे ये।
रोक दे बर्षा का पानी।
मन अगर ठाने जवानी
तोड़ लाए नभ के तारे।
निज़ भुजाओं के सहारे।
छेद कर दे आसमां में,
लिख नई दे इक कहानी।
कौन कहता है ये पानी।
आग ही समझो जवानी।
फूल ही हाथों न समझो।
हाथ में तलवार भी है।
प्यार दिल में है अगर तो,
साथ में ललकार भी है।
सह नहीं सकती कभी भी,
सच कहूॅ॑ ये बदजुबानी।
कौन कहता है ये पानी।
आग ही समझो जवानी।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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