आज ही के दिन देखो , शुभ ये विवाह हुआ ,
लिखी हुई वेदों में ये , विष्णुप्रिया कहानी।
प्रबोधिनी एकादशी, देव उठ कहते हैं ,
शालिग्राम प्रिय जानो,तुलसी महारानी।
व्रत कीजिए जी आप , कार्तिक ग्यारस का ,
तुलसी विवाह कर , बनिये बड़ा दानी।
तुलसी मैया की करो, तुम सदा सेवा-पूजा,
कहती हैं सदियों से, गाथा ये दादी- नानी।
स्वरचित
सारिका विजयवर्गीय "वीणा"
नागपुर( महाराष्ट्र)
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