आर्यावर्त की संतति हम, सिंधु सभ्यता के भावी
वेद हमारे पथप्रदर्शक, शांति पथ के हम राही।
आर्यों के वंसज हैं हम, क्षमा त्याग पहचान हमारी
मातृभूमि के हम सेवक, भाषा हिंदी मान हमारी।।
रामायण, गीता, पुराण से, भरा पड़ा इतिहास हमारा
बाल्मीकि, तुलसी, कालिदास, कबीर से है जग उजियारा।
मीरा, सूर, जायसी जैसी, भक्ति है पहचान हमारी
माँ गंगा के पाल्य हैं हम, भाषा हिंदी शान हमारी।।
संस्कृत-पाली-प्राकृत-अपभ्रंश, ये सांस्कृतिक यात्रा के साथी हैं
पद्मावत, साकेत, पंचतंत्र हमारे पुरखों की थाती हैं।
अशफ़ाक, भगत, चंद्रशेखर सी वीरता है पहचान हमारी
हिमालय संरक्षक हमारा, भाषा हिंदी प्राण हमारी।।
अटल जैसे नायक हमारे, कलाम सरीखा धरतीपुत्र
कल्पना जैसी बिटिया जिसकी, विश्वबंधुत्व जहां का सूत्र।
टेरेसा, भावे जैसी, सेवा है पहचान हमारी
हमारी उन्नति का सूचक, भाषा हिंदी सम्मान हमारी।।
- शिवम कुमार त्रिपाठी 'शिवम्'
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