मैं बेअदबी निहायत कर रही हूँ।
मुहब्बत में अदावत कर रही हूँ।
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किया जिसने मेरा दिल दूर मुझसे।
मैं उससे ही मुहब्बत कर रही हूँ।
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कहीं का भी मुझे जिसने न छोड़ा।
उसी की क्यूं वकालत कर रही हूँ।
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मेरा केवल रहा है वो है जैसा।
बुरा क्या जो जियारत कर रही हूँ ।
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मुझे दिल में रखे जो प्यार से बस।
समझ भगवन इबादत कर रही हूं।
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मैं उनका भक्त भगवन वो हैं मेरे।
उन्हें अपनी हकीकत कर रही हूँ।
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झुका सजदे में सर उनके सुनीता।
मैं कान्हा की ही चाहत कर रही हूँ।
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सुनीता असीम
18/11/2020
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