सुनीता असीम

मैं बेअदबी निहायत कर रही हूँ।


मुहब्बत में अदावत कर रही हूँ।


******


किया जिसने मेरा दिल दूर मुझसे।


मैं उससे ही मुहब्बत कर रही हूँ।


*******


कहीं का भी मुझे जिसने न छोड़ा।


उसी की क्यूं वकालत कर रही हूँ।


*******


मेरा केवल रहा है वो है जैसा।


बुरा क्या जो जियारत कर रही हूँ ।


*******


मुझे दिल में रखे जो प्यार से बस।


समझ भगवन इबादत कर रही हूं।


*******


मैं उनका भक्त भगवन वो हैं मेरे।


उन्हें अपनी हकीकत कर रही हूँ।


*******


झुका सजदे में सर उनके सुनीता।


मैं कान्हा की ही चाहत कर रही हूँ। 


*******


सुनीता असीम


18/11/2020


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...