शमा जली है जो मन्दिर की बंदगी जागी।
मिला खुदा का बसेरा तो ज़िन्दगी जागी।
******
जो मैल मन को लगा भावना बुरी जागे।
कि स्वच्छता को हटाया तो गन्दगी जागी।
******
हटाके घोर अंधेरा दिया जला मन का।
मिला खुदा का सहारा तो रोशनी जागी।
******
मुझे सुलाके ही सोया है बंशीवाला वो।
सुबह जो नींद खुली खूब ताजगी जागी।
******
जो हसरतें सो रही थीं कभी सुनीता की।
कि खास उनके इशारों से रफ्तगी जागी।
******
सुनीता असीम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें