शमा जली है जो मन्दिर की बंदगी जागी।
मिला खुदा का बसेरा तो ज़िन्दगी जागी।
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जो मैल मन को लगा भावना बुरी जागे।
कि स्वच्छता को हटाया तो गन्दगी जागी।
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हटाके घोर अंधेरा दिया जला मन का।
मिला खुदा का सहारा तो रोशनी जागी।
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मुझे सुलाके ही सोया है बंशीवाला वो।
सुबह जो नींद खुली खूब ताजगी जागी।
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जो हसरतें सो रही थीं कभी सुनीता की।
कि खास उनके इशारों से रफ्तगी जागी।
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सुनीता असीम
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