चांद फिर धरती पे उतरा ख्वाब में।
प्रेम का अमृत चखा था ख्वाब में।
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प्यार के बदले मिलेगा प्यार ही।
ज़िन्दगी के ख़ार सहना ख़्बाव में।
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वस्ल के प्यासे हुए वो मुझ बिना।
श्याम का मुझसे ये कहना ख्वाब में।
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बस करीबी भा गई उनकी मुझे।
हार बाहों का था पहना ख्वाब में।
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टकटकी उनको लगा थी देखती।
चाँद को भी दूर रक्खा ख्वाब में।
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सुनीता असीम
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