इश्क की राह में रवानी है।
मुश्क से आँख जो मिलानी है।
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लाज जिन्दा नहीं शरम जिन्दा।
नाम मेरा फ़कत दिवानी है।
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जी रही हिज्र की हिरासत में।
वस्ल की भी व्यथा सुनानी है।
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जिस्म दो एक जान हो जाए।
रूह की प्यास जो बुझानी है।
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सांवरे आज मान जाओ ये।
इक झलक आपको दिखानी है।
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या मुहब्बत मेरी रही सच्ची।
या मेरा कृष्ण इक कहानी है।
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यूं सुनीता कहे कन्हैया से।
धाक दिल पे तेरे जमानी है।
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सुनीता असीम
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