सुषमा दीक्षित शुक्ला

ऐ! जिंदगी


 


ऐ!जिंदगी तेरे लिए हमने बहुत हैं दुःख सिंये।


ऐ!आशिकी तेरे लिए आँख ने आँसू पिये ।


 


बे मुरब्बत जिंदगी तू रूठती मुझसे रही ।


बेरहम ये जख़्म सारे दिन ब दिन तूने दिये ।


 


दिल तड़पता रात दिन रूह है जोगन बनी ।


बेबफा ये दर्द सारे झेलकर फिर भी जिये ।


 


मोहब्बत में नही है फ़र्क जीने और मरने का ।


बेखता ये सज़ा पाकर जिंदगी तुझको जिये ।


 


हजारों ख्वाहिशें हो चुकीं हैं अब तो दफ़न ।


याद में तेरी सनम जहरे समंदर पी लिए ।


 


शमा बनकर ,सुष्,पिघल ढलती रही ।


फ़क़त रात ओ दिन जले दिल के दिये ।


 


 


सुषमा दीक्षित शुक्ला


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