विनय साग़र जायसवाल

🌹दीपावली की शुभकामनाओं के साथ🌹


ग़ज़ल ---


 


चराग़ दिल के जलाकर मनाओ दीवाली


हमें भी साथ बिठाकर मनाओ दीवाली


 


खिलेगी प्यार की बगिया इसी बहाने से 


पड़ोसियों को खिलाकर मनाओ दीवाली


 


अवध में लौट के आये हैं राम सीता लखन


ख़ुशी के गीत सुनाकर मनाओ दीवाली


 


हमारे माता पिता ने यही सिखाया है 


दिलों में प्यार सजाकर मनाओ दीवाली


 


बनेगी कचरी या पापड़ के साथ गुजिया भी


कि इनमें प्रेम मिलाकर मनाओ दीवाली 


 


सजाओ ऐसे चरागाँ तो कोई बात बने 


ग़रीब की भी मनाकर मनाओ दीवाली


 


हरेक फूल सा चेहरा खिलेगा तब *साग़र*


जो नफ़रतों को भुलाकर मनाओ दीवाली 


 


🖋️विनय साग़र जायसवाल


7/11/2020


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511