विनय साग़र जायसवाल

भजन -श्री कृष्ण जी का


122-122-122-122


धुन-तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ


वफ़ा कर रहा हूँ वफ़ा चाहता हूँ


🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹


तेरे प्रेम से हर तरफ़ है उजाला


मेरे नंदलाला मेरे नंदलाला


 


हवाएं भी निर्भर हैं जिसपर जहाँ की 


कभी सुध तो ले वो भी आकर यहाँ की


न जाने कहाँ खो गया वंशीवाला ।।


मेरे नंदलाला------


 


परेशान कितनी हैं गोकुल की गलियाँ


कि रो-रो के खिलती हैं मासूम कलियाँ


पुकारे है तुझको तो हर ब्रजबाला।।


मेरे नंदलाला


तेरी बाँसुरी और राधा की पायल


करे गोपियों के कलेजे को घायल


जलाई है कैसी विकट प्रेम ज्वाला ।।


मेरे नंदलाला


तेरे प्यार की यह भी कैसी अगन है 


तेरे दर्शनों से ही मीरा मगन है 


मेरे मन को भी तूने उलझा ही डाला ।।


मेरे नंदलाला


कंहैया ये लीला जो तूने रचाई


किसी की समझ में अभी तक न आई


कि अर्जुन को कैसे भ्रम से निकाला ।।


मेरे नंदलाला----


छँटेगा मेरे मन से कब तक कुहासा


मैं जन्मों से हूँ तेरे दर्शन का प्यासा


कहीं टूट जाये न आशा की माला ।।


मेरे नंद लाला मेरे नंदलाला ।


तेरे प्रेम से हर तरफ़ है उजाला।।


 


🖋️विनय साग़र जायसवाल


 


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