*षष्टम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-1
करउँ प्रनाम राम भगवाना।
जोगेस्वर बल सिंह समाना।।
ग्यानगम्य-गुन-निधि-देवेस्वर।
निर्बिकार-अजित-अखिलेस्वर।।
रघुबर मायातीत-बिरागी।
भगत-बछल अरु सिव-अनुरागी।।
खल-बधरत प्रभु राम गोसाईं।
छल-प्रपंच प्रभु मनहिं न भाईं।।
बंदउ सदा जोरि दोउ पानी।
सिव संकर सँग उमा भवानी।।
आभा चंद्र संख की नाई।
संकर-बदन सबहिं जग भाई।।
कासीपति अरु कलिमल नासी।
सिवहिं कल्प कैलास निवासी।।
गंगा सिर उर ब्याल कराला।
सोहै चंद्र ललाट बिसाला।।
दोहा-करै बंदना जगत जे,रामहिं-सिवहिं समान।
होवै तिसु जन यहि जनम, मंगल अरु कल्यान।।
डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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