डॉ0 हरि नाथ मिश्र

 बाल-गीत

नाना मुझको पैसे दे दो,

जैसे-तैसे-वैसे दे दो।

मुझको टॉफ़ी खानी है-

देती मुझे न नानी है।।


चंदू चाचा पैसे लेते,

लेकर पैसे तब हैं देते।

नहीं वहाँ चलती मनमानी-

चलती वहाँ न खींचातानी।।


मेले में है जाना नाना,

खोलो अपना अभी खजाना।

पूड़ी-दही-जलेबी खाना-

नानी हेतु जलेबी लाना।।


मेले में हैं बहुत खिलौने,

मिलते नहीं हैं औने-पौने।

सबके पैसे भी देना है-

पैसे देकर ही लेना है।।


रामू-श्यामू,नंदू-मोहन,

संग रहेगा छोटू सोहन।

और रहेगी गुड़िया रानी-

खायेंगे हम पूड़ी-पानी।।


मेरे नाना अच्छे नाना,

कोई करना नहीं बहाना।

मेले में है मुझको जाना-

पैसे देकर खाओ खाना।।

         ©डॉ0हरि नाथ मिश्र

             9919446372

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