"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
दोहा-लेखन
बोले प्यारी कोकिला,जब आए मधुमास।
पिया-मिलन विश्वास की,जागे मन में आस।।
हैं रवि-शशि-तारे सभी,आभूषण आकाश।
अहो भाग्य है अवनि का,पाए सदा प्रकाश।।
अगहन मास पवित्र अति,इसमें प्रभु का वास।
धूप गुनगुनी सूर्य पा,हर्षित चित्त उदास ।।
खंजन नैना बाँवरे,करते प्रबल प्रहार।
परम प्रतापी प्रेम के,हैं प्यारे उपहार।।
शीतल अगहन यामिनी,माँगे सदा अलाव।
हे अलाव तुम धन्य हो,तुम हो सूत्र लगाव।।
उदित सूर्य शोभन लगे,शोभन नीलाकाश।
उल्लू जा छुपते कहीं,होकर बहुत हताश।।
खिला हुआ रवि-चंद्र से,है अपना संसार।
वायु-नीर रक्षा करें, देकर शक्ति अपार ।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
Featured Post
दयानन्द त्रिपाठी निराला
पहले मन के रावण को मारो....... भले राम ने विजय है पायी, तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम रहे हैं पात्र सभी अब, लगे...
-
सुन आत्मा को ******************* आत्मा की आवाज । कोई सुनता नहीं । इसलिए ही तो , हम मानवता से बहुत दूर ...
-
मुक्तक- देश प्रेम! मात्रा- 30. देश- प्रेम रहता है जिसको, लालच कभी न करता है! सर्व-समाजहित स्वजनोंका, वही बिकास तो करता है! किन्त...
-
नाम - हर्षिता किनिया पिता - श्री पदम सिंह माता - श्रीमती किशोर कंवर गांव - मंडोला जिला - बारां ( राजस्थान ) मो. न.- 9461105351 मेरी कवित...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें