"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
डॉ0 हरि नाथ मिश्र
*त्रिपदियाँ*
अगहन मास लगे अति न्यारा,
सूरज भी लगता है प्यारा।
जन-जन का यह रहे दुलारा।।
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आपस में मिल-जुल कर रहना,
होता है जीवन का गहना।
ऋषियों-मुनियों का है कहना।।
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सदा बड़ों का कहना मानो,
जीवन-सार इसी को जानो।
बुरा-भला सबको पहचानो।।
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कभी नहीं भावों में बहना,
सम विचार सुख-दुख में रखना।
मौसम-मार मुदित हो सहना।।
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सद्विचार जब पलता रहता,
हितकर कर्म मनुज तब करता।
बिगड़ा काम तभी जग बनता।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446374
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