अंतर्यामी परमात्मा
सृष्टि के प्रत्येक कण में, व्याप्त है परमात्मा
झाँके मानव निज मन में, आत्मा ही परमात्मा
परमशक्ति, सर्वव्यापी प्रभु ,सबका पालनहार
जीवन नैया पार करे,सबका तारनहार
प्रह्लाद की श्रद्धा भक्ति से, खम्बे से प्रभु प्रकट हुए
कष्ट निवारे भक्तों के, संसार से सारे दुख हरे
वो अविनाशी घट घट वासी, परमपिता परमेश्वर हरि
हो जावे जब कृपा तिहारी, जीवन की तृष्णा हर मिटी
हे अभ्यन्तर दयनिधान माया मोह में मैं अनजाना
भ्रमित हुआ नित भूला जप तप, जीवन हुआ वीराना
ढली रात सम जीवन ढलता, जब ये भेद मैं जाना
प्रभु चरणों से नेह लगा कर, जीवन मरम को जाना
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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