संघर्ष
सोना आग में तपकर
ही कुंदन बनता है
लोहे को तपाते जितना
आकार में ढलता है
तितली करती संघर्ष
तो नवजीवन मिलता है
निज संघर्ष के कारण
सुदृढ़ उसको तन मिलता है
जीवन के संघर्ष
मजबूत बनाते हैं
जीवन जीने की कला में
मनुज को दक्ष बनाते हैं
हुआ सफल वही जिसने
तूफानों को झेला है
चलता है जो साथ सभी के
कभी न रहे अकेला है
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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